एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था। उसका नाम रामू था। रामू की परिस्थितियाँ बहुत कठिन थीं। उसके पिताजी बीमार रहते थे और माताजी घर में काम करने जाती थीं। वे दोनों मिलकर रोज़ी रोटी कमाने का प्रयास करते थे, लेकिन गरीबी के कारण उन्हें बहुत सारी समस्याएं होती थीं। रामू को स्कूल जाने का मौका नहीं मिलता था। उसे देखकर अधिकांश लोगों की नज़रों में वह बस एक 'गरीब लड़का' था। उनके पड़ोसी लोगों ने उन्हें नीचा देखते हुए घृणा की नज़र से देखा। बच्चे भी उससे दूर रहते थे और उसे चीढ़ते थे। लेकिन रामू का मन था अलग। उसने हार नहीं मानी और पढ़ाई के लिए अपनी जिम्मेदारी समझी। उसने गांव के एक पुस्तकालय में जाकर पढ़ना शुरू किया। वहाँ उसे नई दुनिया का एक दरवाज़ा मिला। उसने रात दिन मेहनत की और पढ़ाई की। उसने खुद को साबित किया और अपने सपनों की ओर अग्रसर हुआ। धीरे-धीरे रामू की पढ़ाई में सुधार हुआ। वह स्कूल के बेहतर छात्रों में शामिल हो गया और अच्छे अंक प्राप्त करने लगा। लोग चकित रह गए और उसे सलामी देने लगे। उसके परिवार और गांव के लोग गर्व महसूस करने लगे कि वह गरीबी के बावजूद इतना आगे बढ़ गया है। आज, रामू अपने गांव का मान बढ़ा चुका है। उसके साथी उसके दर्शन और मार्गदर्शन के लिए उसके पास जाते हैं। उसकी सफलता की कहानी हर गरीब लड़के के लिए प्रेरणादायक है। यह दिखाती है कि संघर्ष, मेहनत, और निरंतर प्रयास से कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है, चाहे वह गरीब हो या अमीर।